
लो आज नया साल भी आ गया। इस शुभ मौक़े पर सबसे सुकून फ़ोन को मिली है। मोबाइल फ़ोन ने राहत की साँस ली है, इधर दो तीन दिनों से काफी बिजी था। बेचारा अपने दर्द का इजहार भी नही कर सकता था। दर्द किसे और किस किस को हुआ ये जानने की फुरसत किसी को नही मुझे भी नही लेकिन कुछ लोगो को दर्द हुआ हैं.. चलिए देखते हैं किसे हुआ क्यों हुआ ...... युवा कहता हैं हम तो नया वर्ष को लाने का महान काम कर रहे थे फिर ये बेकार बातें । फिर भी अपन तो इस बार दर्द का डिस्को खूब जम कर किया, तो बात ख़त्म, हम हर जगह थे बार रेस्टोरेंट में, होटल में, और आज कल की विकास की रफ्तार का प्रतीक बने मॉल्स में। जिनको जगह नही मिली वो भी पीछे नही थे गलियां बची हुई थी पार्क में भी काफी जगह थी बस जमा डाला रंग। दारू भी ने भी खूब रंग जमाया सर पर चढी तो अपनों की पहचान भूल गए। दारू पिलाने वाले दोस्त नज़र आये बाकी जो बचे उनको गरीयाने के लिए रखा गया। नये साल ने आते आते या यूं कहे की पुराने साल ने जाते जाते मोबाइल वाले से लेकर दारू की दुकान वालों को आमदनी खूब करा गया.....ख़ैर सभी की बल्ले बल्ले हैं नया साल आ रहा हैं। डिस्को तो कुछ और लोगो ने भी किया हैं। चलिए देखते हैं इस डिस्को को .................. इस नए साल से बेखबर जो लोग घर पर रह गए आधी नींद से जाग गए ,बीमार भी नये साल की धमक से बच ना सके, बच्चे रो रो कर नए साल की अगुवाई करते नज़र आये, फुत्पात पर सोने वाले लोग रात भर अपनी जान की खेर मनाते बडे ज़ोर शोर से नये साल को आते देख रहे थे. यानी अपने अपने तरीके से सभी नये वर्ष को आते देख रहे थे। घर लौटते बच्चों को नशे में झूमते माँ पाप ने देखा......लेकिन नया साल भी तो ये ही लेकर आयें हैं। अब कहो मियां कहा चुके हम.... जान हैं बात में जान हैं........ मैंने भी नये साल को देखा लेकिन दर्द कहीं नही दीखा। आपने देखा हो तो बताये। वैसे नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं।
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