Tuesday, November 6, 2007
हम भारत के लोग
हम आम आदमी है। हमारे हाथों में अधिकार है।हम सरकार चुन सकते हैं। वोट दे सकते हैं। इसके बाद हम कुछ नही कर सकते। पांच साल चुप-चाप खामोश देखते देखते बीत जाते हैं। मजदूर मजबूर हो जाता हैं। आम जन भारी भरकम ताम झाम के बीच झुझता हुआ आजाद भारत को तलाश करता हैं। इस देश की यह कैसी विडम्बना है। जिन सडकों को बनने में लोग दिन रात एक कर देते हैं,वे सड़कें हजारों को इधर से उधर पहुँचा देती हैं...........लेकिन बनाने वाले कहीं पीछे छूट जाते हैं। मन कई बार सोचता हुआ फटा जाता हैं आख़िर क्यों इन लोगों के जीवन में रफ़्तार नही हैं।
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3 comments:
भाई तुम्हारी व्यथा सुन कर मुझे यह आभाष हुआ की इस कलयुगी दुनिया में मेरे जैसे विचार रखने वाले भी लोग है....
इस समाज में लगभग सभी लोग संवेदनहीन हो गएं है अब जरूरत है एक सार्थक कदम उठाने की इसलिए अब हमें मिलकर इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है.....
मैं हमेशा तुमहारे साथ हूं.... शेखर
एक पंक्ति मेरे तरफ से भी.....
आज न जाने देश को क्या हो गया है,
आज न जाने देश को क्या हो गया है.....
लगता है इसे भी पोलियो हो गया है
भई अरविंद आपने भी आखिर ब्लॉग की दुनिया में कदम रख ही दिया। अच्छा लगा। मैं कोशिश करुंगा कि आपके ब्लॉग को meravatan.blogspot.com से जोड़ सकूं। आप यहां भी एक चक्कर लगा सकतें हैं।
आपकी पहली आवाज ही लोगों को झकझोरने वाली है, इसी से आंदाजा लगाया जा सकता है कि आपका ब्लॉग कामयाबियों की नई बुलंदियां छुएगा।
आमीन
..........ढेर सारी दुवाओं और बधायियों के साथ कैसर
ब्लोग की दुनिया में आपका सवागत है.....आशा है कि आप इसी तरह उन मुद्दों को उठाते रहेंगे जिन पर हम जैसे लोगों की नज़र तहर जाती है....
सेंसेक्स को देश की तरक्की का पैमाना मनाने वालों को ज़रा उन १० लाख लोगों की तरफ भी नज़र डालनी चाहिऐ जिनकी मौत इस देश में भूख से हो जाती है...
बहुत अच्छे विषय के साथ शुरुआत की है.....शुभकामनाएं
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